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धर्म और वीगनवाद- माँस खाना कभी सही नहीं है, दो भाग का भाग १

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01. "आप सभी प्राणियों के मध्य न्याय और निष्पक्षता की अभिव्यक्ति बनें।" ~द किताब-ए-अकदस (बहाई धर्म)

02. "आदमी का भोजन अनाज होना चाहिए और मांस नहीं।" सर्वलौकिक शांति का प्रचार (बहाई धर्म)

03. "परमात्मा ने प्रत्येक जीव का भोजन निश्चित किया है, और उस नियम के विरुध भोजन करना स्वीकृत नहीं है।" ~ 'अब्दु'ल-बहा (शाकाहारी) (बहाई धर्म)

04. "सभी मांस जो जीवित जीवों द्वारा खाया जाता है उनके खुद के रिश्तेदारों का है।” ~ लंकावतारा सूत्र (बौद्ध धर्म)

05. "अनभिज्ञ रूप से और प्रतिकूल रूप से[...] उपभोग के लिए जानवरों की हत्या करना... वे अपने ऊपर श्राप लाते हैं [...]" - क्सिटिगर्भा सूत्र (बौद्ध धर्म)

06. “[...] देवताओं को सजीव प्राणियों का [...] मांस भेंट करना एक माँ को उसके ही बच्चे का मांस भेंट करने के समान है; यह एक गंभीर पाप है। ~ शिष्यता का सर्वोच्च मार्ग (बौद्ध धर्म)

07. “अगर जीवित प्राणी [...] मारना बंद कर दें, वे जन्म और मृत्यु के लगातार दौर के लिए अधीन नहीं होंगे।" ~ सुरंगामा सूत्र (बौद्ध धर्म)

08. "मांस खाना करुणा के बीज को नष्ट करता है।" ~ महापरिनिर्वाण सूत्र (बौद्ध धर्म)

09. "सभी मांस मानव जीवों के शवों की तरह हैं।" ~ लंकावतारा सूत्र (बौद्ध धर्म)

10. "एक अवस्था जो मेरे लिए प्रसन्नतापूर्ण या आनंदपूर्ण नहीं हैं, मैं इसे दूसरे के ऊपर कैसे डाल सकता हूँ?" -समुत्ता निकाया (बौद्ध धर्म)

11. "जब भी [माँस खाने वाला व्यक्ति] घूमता है, पानी में, सूखी भूमि पर या आकाश में प्राणी भयभीत हो जाते हैं। वे बेहोश हो जाते हैं या मर जाते हैं।" ~ महापरिनिर्वाण सूत्र (बौद्ध धर्म)

12. "अगर व्यक्ति अपने शरीर और मन को नियंत्रण कर सकता है और इस कारण से पशु का माँस खाने से और पशु उत्पाद पहनने से दूर रहता है, मैं कहता हूं वह वास्तव में मुक्त हो जाएगा।" ~ सुरंगामा सूत्र (बौद्ध धर्म)

13. “अगर मेरा कोई भी शिष्य अभी भी मांस खाता है, जानें कि वह कैंडेला के वंश का है। वह मेरा शिष्य नहीं है और मैं उसका शिक्षक नहीं हूं।" कैंडेला अर्थात हत्यारा या खूनी। ~ लंकावतारा सूत्र (बौद्ध धर्म)

14. “मांस खाने वालों के पास इतने सारे अनगिनत अपराध होते हैं, इस प्रकार वीगन लोगों के पास बहुतात में अनंत गुण और पुण्य होते हैं।" ~ लंकावतारा सूत्र (बौद्ध धर्म)

15. "वे जो, माँस और खून के लिए जीवित जीवों की हत्या करते हैं, आठ गर्म नरकों में जलेंगे।" ~ प्रभु मिलारेपा (शाकाहारी)

16. "[...] 'मानवता" का तात्पर्य मानवीय रूप से व्यवहार करना है, न कि मानवों और पशुओं को मारना या उनको नुकसान पहुंचाना, जिसमें अंततः पेड़ और वनस्पतियां शामिल हैं, और जीवन को संजोना सीखना हैं।" ~ सत्य की पुस्तक (भिक्षु संघ बौद्ध धर्म संगठन)

17. "लोग जो मांस खाते हैं आवागमन में कष्टकारी मार्ग में गिर जाएंगे और असहनीय पीड़ा को झेलेंगे।" ~सुरंगामा सूत्र (बौद्ध धर्म)

18. "मांस खाने वाले स्वर्गीय प्राणियों को अपने से दूर करते हैं और अन्य जीवित प्राणियों को उनसे डरते हैं।" ~सुरंगामा सूत्र (बौद्ध धर्म)

19. "स्वर्गीय प्राणी कभी भी उन लोगों के निकट नहीं जाते जो मांस खाते हैं क्योंकि उनके मुँह में हमेशा र्दुगन्ध रहती है।" ~लंकावातारा सूत्र (बौद्ध धर्म)

20. "मांस अच्छा नहीं है, मांस अस्वच्छ होता है।" ~लंकावातारा सूत्र (बौद्ध धर्म)

21. "हालांकि आप वीगन आहार के आदि नहीं हैं, यह खून से भरे भोजन से बेहतर है।” ~ दस विशेषताएँ आत्म-विकास के लिए (बू सोन क्य हुओंग बौद्ध धर्म)

22. “बुद्ध के नामों का पाठ करें, नियमों और वीगन आहार रखें। अपने ह्रदय में भी वीगन होना और भी बेहतर है।” ~ पैगंबर हुन्ह फ़ू सो (वीगन)

23. "फल और सब्जियां खाना, इसलिए मुंह द्वारा बुरे कर्म (प्रतिकार) से पीड़ित नहीं होता है।" ~ दुनिया में रहें, ताओ का आनंद लें (ट्रू लैम ज़ेन बुद्धवाद)

24. “जो लोग नियमों का पालन करते हैं वे स्वर्ग और पृथ्वी के असंख्य जीवन रूपों में से किसी को घायल नहीं करते हैं।" ~ आदरणीय आचार्य बोधिधर्मा (वीगन)

25. "... सबसे महत्वपूर्ण बात हत्या को रोकना है... क्योंकि जानवरों को भी आत्माएं होती हैं और इंसानों की तरह समझते हैं।" संतों की शिक्षा (काओ दाई-वाद)

26. "आपके स्वाद को संतुष्ट करने का क्या उपयोग अगर आपके ह्रदय में करुणा का अभाव है? " ~ तीन वाहनों की सच्ची शिक्षा (काओ दाई-वाद)

27. "पेट के लिए मांस, और माँस के लिए पेट: लेकिन भगवान उसे और उनको दोनों को नष्ट कर देंगे।" ~ 1 कोरिन्थीयन, पवित्र बाइबल

28. " लेकिन माँस इसके जीवन के साथ, जो इसका खून है, आप नहीं खाएँगे।" ~ जेनेसिस, पवित्र बाइबल

29. "आप नहीं मारेंगे।" ~ एक्सोडुस, पवित्र बाईबल

30. "मेरे पास दया होगी और बलिदान नहीं।" ~ मैथ्यू, पवित्र बाइबल

31. "न तो मांस खाना अच्छा है और न शराब पीना, न कोई चीज़ जिससे आपका भाई नीचे गिरता है, या अप्रसन्न होता है, या कमजोर होता है।" ~ रोमन, पवित्र बाइबल

32. "[...] जब हम [माँस खाने] से बचते हैं, ऐसा करते हैं क्योंकि 'हम अपने शरीर को नीचे गिराते हैं, और इसके आधिन हो जाते हैं।'" ऐलेग्ज़ैंड्रीआ के ओरिगेन (शाकाहारी)

33. "यदि कोई मांसाहार और भोज का आनंद लेता है तो उसे मुश्किल से ही पुण्य मिल सकता है।" ~ संत बेसिल महान (शाकाहारी)

34. " अनावश्यक पशुओं को पीड़ित करना और मारना मानव मर्यादा के विरुद्ध है" ~कैथोलिक चर्च की धार्मिक शिक्षा

35. "सर्वोच्च प्राणी, जानवरों को जीवित देखकर उनकी हत्या होते और मरते देखना सहन नही कर सकता [...]" ~मेनसिअस (वीगन)

36. "शांति के लिए, मानवता को पहले जानवरों के साथ शांति करनी चाहिए [...]" ~ मास्टर नगुयेन थांह नाम, (वीगन) (नाम-कुओक बौद्धधर्म)

37. "[...] यदि आप और माँस और रक्त भेंट करना और खाना बंद नहीं करते, भगवान का क्रोध आपसे रुकेगा नहीं।" ~ पवित्र बारह की गॉस्पेल (असीन)

38. "शिकारी के लिए शोक क्योंकि उनका शिकार किया जाएगा।" ~ पवित्र बारह की गॉस्पेल (असीन)

39. “मानव को खुद को घृणित मत बनाने दें कोई भी जीवित या रेंगने वाली प्राणी को खाकर।" ~ मृत सागर स्क्रॉल (असीन)

40. "वह जो मारे गए जानवरों का मांस खाता है, मौत के शरीर को खाता है।" ~ शांति की असीन गोस्पेल (असीन)

41. “चूंकि आप मारे गए जानवरों को जीवन में वापस नहीं ला सकते हैं, आप उन्हें मारने के लिए जिम्मेदार हैं। इसलिए आप नरक जाएँगे [...]" ~ आदि-लीला (हिंदू धर्म)

42. "लोग जो जानवरों के प्रति दयालु नहीं हैं मानवों के प्रति दयालु नहीं हो सकते।" ~ बिश्नोईवाद के सिद्धांत

43. "[...]स्वर्ग प्राप्त नहीं किया जा सकता है यदि प्राणियों को मारा जाता है।" ~ मनुस्मृति (हिंदू धर्म)

44. "आपको अपने ईश्वर प्रदत्त शरीर का उपयोग ईश्वर के जीवों को मारने के लिए नहीं करना चाहिए, चाहे वे मानव हों, जानवर हों या जो भी हों।" ~ यजुर वेद (हिंदू धर्म)

45. “मांस खाने वाले लोग बार-बार विभिन्न गर्भों में जन्म लेते हैं और जबरन घुटन के माध्यम से हर बार अप्राकृतिक मौत में डाले जाते हैं।" ~ महाभारत अनुसासाना पर्व (हिंदू धर्म)

46. "प्रजापति का कहना है कि किसी भी प्रकार का मांस खाना महान बुराई है और ऐसा करने से दूर रहना अत्यंत प्रशंसा योग्य है।" ~ यमस्मृति (हिंदू धर्म)

47. "वह सब जो जीते हैं हथेलियों को एकसाथ जोड़ेंगे उन लोगों की प्रार्थनापूर्ण आराधना में जो वध करने और मांस खाने से मना करते हैं।" ~ तिरुकुरल (हिंदू धर्म)

48. "किसी भी जीवित प्राणी को नहीं मारने से, व्यक्ति मोक्ष के योग्य हो जाता है।" ~ मनु-संहिता (हिंदू धर्म)

49. "अहिंसा (अहिंसा) सर्वोच्च धर्म है।" ~ महाभारत शांतिपरवा (हिंदू धर्म)

50. "हमारी दोनों प्रजातियों दो पैर वाले और चौपाये को बचायें।" ~ ऋगवेद संहिता (हिंदू धर्म)

51. "पशुओं कि सुरक्षा एक पवित्र कार्य माना जाता है।" ~ चरक संहिता (हिंदू धर्म)

52. "जीवित प्राणियों को पीड़ा न देना सर्वोच्च धर्म है।" ~ अहिंसा परॉमो धर्मा (हिंदू धर्म)

53. "आपके लिए (खाने के लिए) वर्जित हैं: मृत माँस, रक्त, सूअर का मांस और वह सब जिस पर अल्लाह के अलावा अन्य का नाम लिखा गया है..." ~ पवित्र कुरान

54. "आपके लिए वहाँ कई फल हैं जिनसे आप खाएंगे।" ~ पवित्र कुरान

55. "हमने अपने सेवकों के लिए भरण-पोषण के रूप में आकाश से पवित्र पानी को नीचे भेजा है बगीचों उगाने के लिए, फसल योग्य फसलें और लम्बे ताड़ के पेड़ खजूर के गुच्छों के साथ।" ~ पवित्र कुरान

56. "अपने पेट को जानवरों का कब्रिस्तान बनने की अनुमति न दें!" ~ हदिथ (इस्लाम)

57. "जो भी ईश्वर के सभी प्राणियों के प्रति दयालु है, स्वयं के प्रति दयालु है।" ~ हदीथ (इस्लाम)

58. “अल्लाह किसी को भी दया नहीं देगा, सिवाय उनके जो दूसरे प्राणियों पर दया करते हैं।" ~ हदीथ (इस्लाम)

59. "एक सच्चे भिक्षु को ऐसे भोजन और पेय को स्वीकार नहीं करना चाहिए, जो जीवित प्राणियों के वध को शामिल करके विशेष रूप से उसके लिए तैयार किया गया हैं।" ~ सूत्रकृतंगा (जैन धर्म)

60. “किसी भी जीवित प्राणी को मारना खुद को मारना है।" ~ भगवती आराधना (जैन धर्म)

61. "दूसरों पर दया करना अपने आप पर दया करना है।" ~ भगवती आराधना (जैन धर्म)

62. "एक व्यक्ति जो अपनी आत्मा की रक्षा करता और अपनी इंद्रियों को वश में करता है, उसे कभी भी किसी को जीवित प्राणियों की हत्या करने की अनुमति नहीं देनी चाहिए।” ~ सूत्रकृतंगा (जैन धर्म)

63. "वे जिनका मन शांत होता है और जो कामुकता से दूर है दूसरों को दुःख देकर जीने की इच्छा नहीं करते।" ~ पवित्र अचारंग सूत्र (जैन धर्म)

64. "व्यक्ति को किसी पशु, जीवित प्राणी, वनस्पतियाँ, या चेतन प्राणी को पीड़ित करना, गुलाम बनाना, दास बनाना, या यातना नहीं पहुँचानी चाहिए।" ~ पवित्र अचारंग सूत्र (जैन धर्म)

65. "सभी जीवित प्राणियों के प्रति सद्भावना रखें।" ~ तत्व्रथा सूत्र (जैन धर्म)

66. "जब मांस अभी भी उनके दांतों के बीच में ही था, [...] लोगों के विरुद्ध परमात्मा का क्रोध जाग गया, और [...] लोगों को भयानक आपदा के साथ दंड दिया।" ~ नंबर, पवित्र हिब्रू बाइबिल

67. "आपको खेत की जड़ी बूटी खानी चाहिए।" ~ जेनेसिस, पवित्र हिब्रू बाइबिल

68. "मुझे बैल और मेमने और बकरी के खून में कोई आनंद नहीं मिलता।" ~आइजेहा, पवित्र हिब्रू बाइबिल

69. “ जड़ी बूटी का वह आहार बेहतर है जहां प्यार है, लटके हुए बैल और उसके साथ घृणा की तुलना में।" ~ कहावतें , पवित्र हिब्रू बाइबिल

70. “उनके बीच मत रहो जो स्वयं को मदिरा पीने वालों में रखते हैं, या उन लोगों के बीच जो खुद को माँस के साथ भरते हैं।" ~ कहावतें , पवित्र हिब्रू बाइबिल

71. “ यह एक स्थायी क़ानून होगा आपकी पीढ़ियों के लिए आपके सभी आवासों में, कि आप ना तो वसा खाएँ ना ही माँस*।" * रक्त: अर्थात "मांस," जिसमें रक्त होता है ~ लेविटिकस, पवित्र हिब्रू बाइबिल

72. “वह जो एकल जीवन नष्ट करता है पूरी दुनिया को नष्ट करने वाला माना जाता है, और वह जो एकल जीवन बचाता है पूरी दुनिया को बचाने वाला माना जाता है।” तलमुद (जुड़ावाद)

73. "जो लोग मारिजुआना, मांस और शराब का सेवन करते हैं - वे चाहे जितने भी तीर्थयात्रा, व्रत और अनुष्ठान करें, वे सभी नरक में जाएंगे।" ~ श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी (सिक्ख धर्म)

74. विश्वव्यापी भातृभाव को उठाना सर्वाच्च धर्म है; और सभी प्राणियों को अपने समान समझना। ~श्री गुरू ग्रंथ साहिब जी (सिक्ख धर्म)

75. "यदि आप कहते हैं कि भगवान सभी में रहते हैं, तो आप मुर्गी को क्यों मारते हैं?" ~ श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी (सिक्ख धर्म)

76. "क्रूरता से जानवरों को मारना और उन्हें पवित्र भोजन कहना मूर्खता है।" ~ श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी (सिक्ख धर्म)

77. “आप जीवन को मारते हैं और इसे धर्म का कार्य कहते हैं। फिर अधर्म क्या है?” ~ श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी (सिक्ख धर्म)

78. "[...] यदि रक्त (या मांस) का सेवन मनुष्य द्वारा किया जाता है, तो उसका हृदय शुद्ध कैसे हो सकता है?” ~ श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी (सिक्ख धर्म)

79. "हमारे गुरु, हमारे आध्यात्मिक मार्गदर्शक, हमारे साथ खड़े होते हैं केवल यदि हम कोई मांस या शव नहीं खाते हैं।" ~ श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी (सिक्ख धर्म)

80. "[...]किसी को शुद्ध चेतना नहीं हो सकती है जब कोई अन्य प्राणियों के रक्त और मांस का सेवन करता है।" ~ श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी (सिक्ख धर्म)

81. "आप जीवित प्राणियों को मारते और मृत चीजों की पूजा करते हैं, अपने अंतिम क्षण में, आप अत्याधिक दर्द से पीड़ित होंगे।" ~श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी (सिक्ख धर्म)

82. "सभी प्राणियों के प्रति दयालु हों- यह 68 तीर्थ स्थानों पर स्नान करने और दान करने से ज्यादा गुणकारी है।" ~श्री गुरु गन्थ साहिब जी (सिक्ख धर्म)

83. "पक्षियों को जाल में पकड़ने के लिए पहाड़ पर न जाएं, ना ही मछलियों और मिनो को जहर देने के लिए पानी में। बैल की हत्या नहीं करें।” ~ शांत मार्ग का पथ (ताओवाद)

84. "वे लोग जो ब्रहमाँड के सत्य को जानना चाहते हैं उन्हें समस्त जीवन के लिए आदर करने का अभ्यास करना चाहिए [...]" ~हुआ हु चिंग (ताओवाद)

85. "बंधे हुए जानवरों को खरीदें और उनको स्वतंत्रता दें।" ~ शांत मार्ग का पथ (ताओवाद)

86. " कितना सराहनीय है वह संयम जो कसाई वितरित करता है! " ~ शांत मार्ग का मार्ग (ताओवाद)

87. "वो पौधे, मैं, अहुरा मज़्दा (भगवान), धरती पर बरसने दो, विश्वासियों के लिए भोजन, और लाभकारी गाय के लिए चारा लाने के लिए।” ~ पविर अवेस्ता (जोरोआस्ट्रवाद)

88. "[...] विभिन्न प्रकार के पशुधन जानवरों का वध एक गंभीर पाप है।" ~ ज़ेडस्प्रम का संग्रह (जोरोआस्ट्रवाद)

89. "आदमी [...] जो पृथ्वी पर सभी जीवों को खुद के रूप में मानता है, वह अमर होने को प्राप्त करता है, सच्चा परमेश्वर सदा उसके साथ है।” ~ संत कबीर (शाकाहारी)

90. "यह (वीगनवाद) आंदोलन उन लोगों के लिए विशेष आनंद का कारण होना चाहिए जिनका जीवन पृथ्वी पर परमेश्वर का राज्य लाने के प्रयास में लगा होता है।” ~ लियो टॉल्स्टॉय (शाकाहारी)

91. "मनुष्य तभी नैतिक होता है जब जीवन, जैसे, उसके लिए पवित्र है, पौधों और जानवरों का साथ ही उसके साथी का भी।" ~ अल्बर्ट श्वित्ज़र, एम डी (शाकाहारी)

92. "मेरे शाकाहार का आधा भौतिक नहीं, बल्कि नैतिक है।" ~ महात्मा गांधी जी (शाकाहारी)

93. "जब हम मांस खाते हैं, हम उन तत्वों को अवशोषित करते हैं जो जानवरों के साम्राज्य से संबंधित है जैसे भय, क्रूरता, और इसी तरह, और इसका अर्थ है कि हमारे लिए अपने उच्च स्व को विकसित करना बहुत मुश्किल होगा…” ~ ओमराम मिखाइल अश्वन्होव (शाकाहारी)

94. "अगर जानवर बात कर सकते, क्या हम तब उन्हें मारने और खाने की हिम्मत करते? फिर हम कैसे ऐसी भ्रातहत्या को उचित ठहरा सकते हैं?" ~ वोल्टेयर (शाकाहारी अधिवक्ता)

95. "जानवरों को मत मारो। आप अनुसरण करो? उन्हें खाने के लिए मत मारो।” ~ जिद्दू कृष्णमूर्ति (शाकाहारी)

96. "जानवर मेरे दोस्त हैं... और मैं अपने मित्रों को नहीं खाता।” ~ जॉर्ज बर्नार्ड शॉ (शाकाहारी)

97. "जब तक मानव जानवरों का नरसंहार करते हैं, वे एक दूसरे को मारते रहेंगे।” ~ पाइथागोरस (वीगन)

98. "समय आएगा जब मानव जानवरों की हत्या वैसे ही देखेंगे जैसा वे मनुष्य की हत्या को देखते हैं।" ~ लियोनार्डो दा विंची (शाकाहारी)

99. "सब्जियां प्रकृति का मार्ग हैं, प्राकृतिक, सही, स्वच्छ।” ~ एडगर कैसी

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